मशहूर गीतकार और लेखक जावेद अख्तर हाल ही में अपने बच्चों ज़ोया अख्तर और फरहान अख्तर के साथ पेशेवर रिश्तों पर खुलकर बोले। एक इंटरव्यू में जावेद अख्तर ने बताया कि कैसे उनके डायलॉग्स उनके बच्चों को अक्सर पुराने और पारंपरिक लगते हैं।
बच्चों की नजर में जावेद अख्तर के डायलॉग्स ‘पुराने’
सपान वर्मा के साथ एक बातचीत के दौरान जावेद अख्तर ने खुलासा किया कि ज़ोया और फरहान को उनके डायलॉग्स पुराने और पारंपरिक लगते हैं। उन्होंने कहा, “उनके लिए मेरे बॉस बनना बहुत आसान है। जहाँ बाकी लोग मेरी सीनियरिटी और अनुभव के कारण खुलकर बात करने में हिचकिचाते हैं, वहीं मेरे बच्चों को ऐसी कोई चिंता नहीं है, खासकर ज़ोया को। फरहान लड़ाई नहीं करता, बस मेरे डायलॉग्स को सीधे नकार देता है। लेकिन ज़ोया लड़ाई करती है।”
जावेद अख्तर ने यह भी बताया कि उनके और उनके बच्चों के बीच भाषा का एक बड़ा अंतर है। जहां ज़ोया और फरहान की पहली भाषा अंग्रेजी है, वहीं जावेद अख्तर की भाषा उर्दू या हिंदुस्तानी है। उन्होंने कहा, “वे अक्सर कहते हैं कि यह डायलॉग पारंपरिक या पुराना लगता है। पिछले 25 सालों में मैंने सिर्फ एक स्क्रिप्ट फरहान के लिए लिखी है, ‘लक्ष्य’। ज़ोया की पहली फिल्म ‘लक बाई चांस’ के कुछ डायलॉग्स मैंने लिखे थे, लेकिन उसके बाद उन्होंने मुझसे कभी डायलॉग लिखने को नहीं कहा।”
फिल्म ‘दिल धड़कने दो’ में मिला कुत्ते के डायलॉग्स लिखने का मौका
जावेद अख्तर ने मजाकिया अंदाज में यह भी बताया कि ज़ोया अख्तर ने फिल्म ‘दिल धड़कने दो’ के दौरान उनसे सिर्फ कुत्ते के डायलॉग्स लिखवाए। ज़ोया ने कहा, “मेरे पापा से बेहतर कुत्ते की सोच को कोई नहीं समझ सकता।”
‘एंग्री यंग मैन’ डॉक्यूमेंट्री में दिखी सलिम-जावेद की जोड़ी
जावेद अख्तर हाल ही में ‘एंग्री यंग मैन’ नामक एक डॉक्यूमेंट्री सीरीज में नजर आए, जिसमें उनकी और सलिम खान की सुपरहिट जोड़ी के सफर को दिखाया गया है। नम्रता राव द्वारा निर्देशित इस डॉक्यूमेंट्री में बताया गया कि कैसे सलिम-जावेद की जोड़ी ने 24 फिल्मों में से 22 ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं। इस सीरीज में दोनों के अलग होने की कहानी भी शामिल है। इसके अलावा, डॉक्यूमेंट्री में ज़ोया अख्तर, फरहान अख्तर, सलमान खान, अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, शबाना आज़मी सहित कई और सितारों के इंटरव्यू भी दिखाए गए हैं। यह शो प्राइम वीडियो पर स्ट्रीमिंग के लिए उपलब्ध है।
निष्कर्ष
जावेद अख्तर का फरहान और ज़ोया के साथ पेशेवर रिश्ता जितना अनोखा है, उतना ही मजेदार भी। जहां एक ओर उनके बच्चों को उनकी लेखनी कभी-कभी पुराने जमाने की लगती है, वहीं दूसरी ओर, उनके विचारों और अनुभव का सम्मान भी बरकरार है। उनके जीवन और करियर पर आधारित डॉक्यूमेंट्री ‘एंग्री यंग मैन’ इस महान लेखक के योगदान को एक नई दृष्टि से दर्शाती है।