मल्लिका शेरावत ने हाल ही में अपने परिवार में हुए भेदभाव को लेकर खुलासा किया। उन्होंने बताया कि उनके परिवार में लड़कियों को हमेशा से एक बोझ समझा जाता था। एक इंटरव्यू के दौरान मल्लिका ने साझा किया कि जब उनका जन्म हुआ, तो परिवार में खुशी के बजाय मातम छा गया था। उनकी मां इस स्थिति से इतनी आहत हुईं कि डिप्रेशन में चली गईं।
परिवार में भेदभाव और संघर्षपूर्ण बचपन
मल्लिका ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए बताया कि उनके परिवार में लड़कियों और लड़कों के बीच बहुत भेदभाव किया जाता था। उन्होंने कहा, “मुझे हमेशा से महसूस होता था कि मेरे माता-पिता मेरे भाई के मुकाबले मुझसे अलग व्यवहार करते थे। मुझे समझ नहीं आता था कि लड़कियों को इतना कम क्यों आंका जाता है। लड़के को विदेश भेजो, उसकी पढ़ाई में पैसा लगाओ, लेकिन लड़कियां सिर्फ शादी के लिए होती हैं और उन्हें बोझ माना जाता है।”
उन्होंने आगे बताया कि गांव में अन्य लड़कियों के साथ भी यही हाल था। उनके परिवार ने उन्हें अच्छी शिक्षा तो दी, लेकिन खुले विचार या आजादी नहीं दी। खेलों में रूचि होने के बावजूद, मल्लिका को यह कहा जाता था कि खेलों में हिस्सा लेने से वह “मर्दानी” हो जाएंगी और फिर कोई उनसे शादी नहीं करेगा। इस तरह की पाबंदियों ने उनके जीवन को प्रभावित किया।
मल्लिका शेरावत का फिल्मी सफर
मल्लिका शेरावत ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 2003 में गोविंद मेनन की फिल्म ख्वाहिश से की थी। इसके बाद 2004 में आई मर्डर ने उन्हें बॉलीवुड में एक अलग पहचान दिलाई। मल्लिका ने प्यार के साइड इफेक्ट्स (2006), वेलकम (2007), डर्टी पॉलिटिक्स (2015) और RK/RKay (2022) जैसी फिल्मों में भी काम किया है।
मल्लिका की नई फिल्म
मल्लिका शेरावत जल्द ही राज शांडिल्य की निर्देशित फिल्म विक्की विद्या का वो वाला वीडियो में नजर आएंगी। इस फिल्म में राजकुमार राव, तृप्ति डिमरी और विजय राज भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं।
मल्लिका शेरावत का यह अनुभव उन तमाम महिलाओं के लिए एक आईना है जो समाज में आज भी भेदभाव का सामना कर रही हैं। उनके इस साहसिक खुलासे ने समाज की उस सोच को उजागर किया है, जो लड़कियों को सिर्फ एक जिम्मेदारी या बोझ समझती है। मल्लिका ने अपने जीवन में इन चुनौतियों का सामना करते हुए एक मिसाल कायम की है।