आलिया भट्ट की फिल्म जिगरा ने हिंदी सिनेमा में थ्रिलर की परिभाषा को नए सिरे से गढ़ा है। फिल्म की कहानी एक बहन और भाई के गहरे रिश्ते पर आधारित है, जहां सत्या (आलिया भट्ट) अपने भाई अंकुर (वेदांग रैना) को जेल से निकालने के लिए आग का सहारा लेने का फैसला करती है। यह फिल्म आपको भावनाओं से भरी एक रोमांचक यात्रा पर ले जाती है, जिसमें एक्शन और इमोशन का बेहतरीन तालमेल देखने को मिलता है।
कहानी की झलक
जिगरा की कहानी सत्या और अंकुर के इर्द-गिर्द घूमती है, जिन्हें बचपन में ही अनाथ कर दिया गया था। सत्या अपने अमीर रिश्तेदार के साथ रहती है और वहां उनकी स्टाफ के रूप में काम करती है। वहीं अंकुर एक इंजीनियर है और अपने चाचा के साथ एक प्लान पर काम करता है। एक बिजनेस डील के लिए दोनों हंशी दाओ (फिक्शनल देश) जाते हैं, जहां उनका सामना मुश्किलों से होता है। अंकुर और उसके कज़िन को पुलिस ड्रग्स के आरोप में गिरफ्तार कर लेती है, और वहां ड्रग्स रखने की सजा मौत होती है। अब अंकुर की जान बचाने के लिए सत्या हर संभव कोशिश करती है, और यही फिल्म की मुख्य कहानी है।
फिल्म का निर्देशन और प्लॉट
फिल्म के निर्देशक वासन बाला ने शानदार निर्देशन किया है। कहानी का प्लॉट आपको शुरुआत से अंत तक बांधे रखता है। फिल्म का ट्रांजिशन, चाहे वह भारत से हंशी दाओ का बदलाव हो, बेहद सुचारू है। हालांकि, फिल्म के दूसरे हिस्से में सत्या, भाटिया (मनोज पाहवा) और मिथु (राहुल रविंद्रन) के साथ जेल से भागने की योजना थोड़ी जटिल हो जाती है, लेकिन इसे फिल्म के डायलॉग्स के जरिए संतुलित किया गया है। मनोज पाहवा के डायलॉग, “ये बहुत कॉम्प्लिकेटेड है, इसको आसान बना,” और मिथु का जवाब, “ये मसाला मूवी थोड़ी है, ये कॉम्प्लिकेटेड है,” दर्शकों को फिल्म के जटिल प्लॉट से जोड़ता है।
भावनात्मक पहलू
फिल्म सिर्फ एक थ्रिलर नहीं है, बल्कि इसमें भाई-बहन के रिश्ते की गहराई भी है। सत्या और अंकुर का रिश्ता शुरू से ही भावनात्मक है और दोनों कलाकारों की बेहतरीन एक्टिंग इसे और भी ऊंचाई पर ले जाती है। आलिया भट्ट ने सत्या के किरदार में अपनी जान डाल दी है। उनका अभिनय हर फ्रेम में शानदार है, चाहे वह अपने भाई को बचाने की कोशिश कर रही हों या फिर अपने अंदर के डर से जूझ रही हों। वेदांग रैना ने भी अंकुर के किरदार में बेहतरीन काम किया है और उनके साथ आलिया की केमिस्ट्री लाजवाब है।
अभिनय का कमाल
आलिया भट्ट ने इस फिल्म में न सिर्फ अपने किरदार को बखूबी निभाया है, बल्कि फिल्म की को-प्रोड्यूसर के रूप में भी अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई है। मनोज पाहवा ने फिल्म में एक मजबूत भूमिका निभाई है और उनके हर दृश्य में एक नयापन है। निर्देशक ने उन्हें सिर्फ एक कॉमिक रोल तक सीमित नहीं किया, बल्कि उनकी भूमिका को अहम बनाया है।
बैकग्राउंड म्यूजिक की तारीफ
फिल्म में आचिंत ठाक्कर का बैकग्राउंड म्यूजिक भी फिल्म को और रोमांचक बनाता है। जब आप सत्या के मिशन में खोए हुए होते हैं, तो म्यूजिक आपको और भी गहराई में ले जाता है।
निष्कर्ष
जिगरा एक बेहतरीन थ्रिलर है, जो आपको फिल्म खत्म होने तक अपनी सीट से हिलने नहीं देती। हालांकि कुछ हिस्सों में कहानी थोड़ी प्रेडिक्टेबल हो जाती है, लेकिन आलिया भट्ट का ‘जिगरा’ आपको हर पल उनकी सुरक्षा में होने का एहसास दिलाता है। फिल्म की भावनात्मक और थ्रिलर दोनों ही पहलू इसे हिंदी सिनेमा के बेहतरीन थ्रिलर्स में से एक बनाते हैं। अगर आप एक इमोशनल थ्रिलर देखना चाहते हैं, तो जिगरा आपके लिए एक परफेक्ट चॉइस है।