अभिनेत्री शबाना आज़मी को इस साल के मामी मुंबई फिल्म फेस्टिवल में एक्सीलेंस इन सिनेमा अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान उनकी 50 साल की फिल्मी यात्रा और भारतीय सिनेमा में उनके असाधारण योगदान के लिए दिया जा रहा है। इसके साथ ही, इस विशेष अवसर पर उनकी प्रतिष्ठित फिल्म अर्थ की एक विशेष स्क्रीनिंग भी आयोजित की जाएगी।
मामी मुंबई फिल्म फेस्टिवल में शबाना आज़मी का सम्मान
मामी फेस्टिवल के निदेशक शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर ने कहा, “शबाना आज़मी को एक्सीलेंस इन सिनेमा अवार्ड से सम्मानित करना हमारे लिए गर्व की बात है। उनकी अद्वितीय प्रतिभा और 50 साल के करियर में उनका योगदान भारतीय सिनेमा को समृद्ध बनाने में मददगार रहा है। उनकी शुरुआत 1974 में फिल्म ‘अंकुर’ से हुई थी, जिसने उन्हें अपने पहले ही प्रयास में पुरस्कार दिलाए। उनके द्वारा निभाए गए महिला किरदार भारतीय सिनेमा में अमर हो गए हैं। मामी ने उन्हें 1999 में उनके 25 वर्षों के योगदान के लिए सम्मानित किया था, और अब उनके स्वर्ण जयंती वर्ष में फिर से उनका सम्मान कर हमें खुशी हो रही है।”
18 अक्टूबर को शबाना आज़मी को यह अवार्ड दिया जाएगा। इसके बाद 19 अक्टूबर को एक मास्टरक्लास आयोजित की जाएगी, जिसमें नेशनल अवार्ड विजेता अभिनेत्री विद्या बालन उनके साथ बातचीत करेंगी। इस सत्र में शबाना आज़मी के पांच दशक के करियर, उनके अनुभवों और उनकी व्यक्तिगत व पेशेवर यात्रा पर चर्चा की जाएगी। यह मास्टरक्लास सिनेमा प्रेमियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होगी, क्योंकि इसमें शबाना आज़मी की अनमोल सीख और उनके अद्भुत करियर के किस्से सुनने को मिलेंगे।
शबाना आज़मी के 50 साल का सफर
शबाना आज़मी ने हाल ही में भारतीय सिनेमा में अपने 50 साल पूरे किए हैं। आईफा अवार्ड्स 2024 के दौरान उन्होंने अपनी इस लंबी यात्रा पर बात की। उन्होंने कहा, “मैं अभिभूत हूं कि जब मेरी पहली फिल्म ‘अंकुर’ 24 सितंबर 1974 को रिलीज़ हुई थी, तो मैं यह कभी नहीं सोच सकती थी कि 50 साल बाद भी मैं इंडस्ट्री में सक्रिय रहूंगी। मुझे इस बात का बेहद गर्व है कि मुझे अभी भी महत्वपूर्ण और अर्थपूर्ण काम मिल रहा है, और मैं सही समय पर सही जगह होने के लिए बेहद आभारी हूं।”
शबाना आज़मी का फिल्मी योगदान
शबाना आज़मी ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण फिल्मों में काम किया है, जिनमें ‘अंकुर,’ ‘अर्थ,’ ‘मंडी,’ ‘मासूम,’ और ‘गॉडमदर’ जैसी फिल्मों ने उन्हें सिनेमा जगत में एक खास मुकाम दिलाया। उन्होंने अपनी अदाकारी से भारतीय सिनेमा में महिला किरदारों को नई ऊंचाइयां दीं और सामाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्मों में अपनी गंभीर भूमिकाओं के लिए प्रसिद्ध हुईं।
उनका यह सफर भारतीय सिनेमा के लिए प्रेरणादायक रहा है, और मामी फिल्म फेस्टिवल में उन्हें सम्मानित किया जाना उनके असाधारण करियर का एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
निष्कर्ष
शबाना आज़मी का यह सम्मान उनकी 50 साल की अद्वितीय यात्रा और भारतीय सिनेमा में उनके बेमिसाल योगदान का प्रतीक है। उनका काम और उनका समर्पण न केवल सिनेमा प्रेमियों के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के कलाकारों के लिए भी एक मिसाल है।