बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता सोनू सूद ने गणेश चतुर्थी 2024 के अवसर पर अपने फैंस को शुभकामनाएं दीं और इस पवित्र त्योहार को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से मनाने की सलाह दी। सोनू ने अपने प्रशंसकों से आग्रह किया कि वे उत्सव के दौरान पर्यावरण की सुरक्षा को प्राथमिकता दें और इको-फ्रेंडली विकल्पों को अपनाएं।
सोनू सूद का संदेश
सोनू सूद ने एएनआई से बातचीत में कहा, “हम सभी को इको-फ्रेंडली तरीकों से गणेश चतुर्थी मनानी चाहिए। हमें त्योहारों में आनंद लेने के साथ-साथ पर्यावरण की देखभाल करना भी नहीं भूलना चाहिए। इको-फ्रेंडली बप्पा को अपने घर लाएं और पर्यावरण को सुरक्षित रखें।”
सोनू ने अपने इंस्टाग्राम पर गणेश चतुर्थी के जश्न की एक झलक भी साझा की। तस्वीर में सोनू अपनी पत्नी सोनाली सूद और बच्चों, ईशांत सूद और अयान सूद के साथ नजर आए। पूरे परिवार ने भगवान गणेश की प्रतिमा के सामने खड़े होकर पूजा की, जिसे खूबसूरत फूलों से सजाया गया था। सोनू ने कैप्शन में लिखा, “गणपति बप्पा मोरया।”
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी एक भव्य दस दिवसीय पर्व है, जिसे पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान भक्त गणपति बप्पा को अपने घर लाते हैं, व्रत रखते हैं, पारंपरिक प्रसाद तैयार करते हैं और पंडालों में जाकर भगवान गणेश की पूजा करते हैं।
मंदिरों में भगवान के आशीर्वाद लेने से लेकर गणपति बप्पा को घर लाने और फूलों से सजावट करने तक, भक्त अपने-अपने अनोखे तरीकों से गणेश चतुर्थी का उत्सव मनाते हैं। इस पर्व का समापन अनंता चतुर्दशी के दिन होता है, जब गणेश जी की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है।
सोनू सूद का वर्कफ्रंट
काम के मोर्चे पर, सोनू सूद जल्द ही एक्शन ड्रामा फिल्म ‘फतेह’ में नजर आएंगे, जो कि उनके निर्देशन की पहली फिल्म भी है। फिल्म की सफलता के लिए भगवान गणेश से आशीर्वाद मांगते हुए सोनू ने कहा, “‘फतेह’ मेरे लिए एक खास फिल्म है। इसके साथ, मैं अपने निर्देशन की शुरुआत कर रहा हूं। उम्मीद है कि ‘फतेह की फतेह’ जरूर होगी।”
इको-फ्रेंडली गणेश चतुर्थी कैसे मनाएं?
- इको-फ्रेंडली मूर्ति का चयन करें:
- गणेश जी की मिट्टी से बनी मूर्ति खरीदें, जो विसर्जन के बाद पानी में पूरी तरह से घुल जाती है और पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचाती।
- प्राकृतिक सजावट:
- सजावट के लिए प्लास्टिक की जगह फूलों, पत्तियों और जैविक सामग्री का इस्तेमाल करें। इससे न केवल आपका घर सुंदर दिखेगा, बल्कि पर्यावरण की भी सुरक्षा होगी।
- कम पानी का उपयोग:
- मूर्ति विसर्जन के दौरान कम से कम पानी का उपयोग करें और कोशिश करें कि विसर्जन किसी जलाशय की जगह बाल्टी में करें, जिसे बाद में बगीचे में पानी देने के लिए इस्तेमाल किया जा सके।
- शोर-शराबे से बचें:
- उत्सव के दौरान ध्वनि प्रदूषण से बचने के लिए डीजे और लाउडस्पीकर की जगह पारंपरिक भजनों और मंत्रों का प्रयोग करें।
- अपशिष्ट प्रबंधन:
- पूजा के दौरान उत्पन्न होने वाले कचरे को सही तरीके से निपटाएं और जैविक अपशिष्ट को खाद में बदलने के लिए एक अलग व्यवस्था करें।