‘पाताल लोक (Paatal Lok) सीजन 2’ ओटीटी की दुनिया में तहलका मचाने में सफल रहा है। इस सीजन के लीड विलेन अंकल केन (Uncle Ken) का किरदार दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ रहा है। आइए जानते हैं कि ये अंकल केन कौन हैं और इन्हें लिविंग लेजेंड क्यों कहा जा रहा है।
‘पाताल लोक 2’ ने दर्शकों को अपने दिलचस्प कहानी से आकर्षित किया है और इसकी अपार सफलता के कारण यह लगातार ट्रेंड कर रहा है। इस शो के प्रमुख अभिनेता जयदीप अहलावत (Jaideep Ahlawat) को खूब सराहा गया है, लेकिन उनके साथ इस सीरीज में नजर आए अन्य कलाकारों ने भी अपनी बेहतरीन अदाकारी से दर्शकों का दिल जीता है। इश्वाक सिंह (Ishwak Singh), गुल पनाग (Gul Panag), नीरज काबी (Neeraj Kabi), नागेश कुकुनूर (Nagesh Kukunoor), तिलोत्तमा शोम (Tilottama Shome), जाह्नु बरुआ (Jahnu Barua), और प्रशांत तमांग (Prashant Tamang) जैसे अभिनेता भी चर्चा में हैं।
अंकल केन का किरदार निभा रहे जाह्नु बरुआ (Jahnu Barua) को खूब सराहा जा रहा है। यह किरदार अंत तक सस्पेंस बनाए रखते हुए जयदीप अहलावत के हाथीराम (Hathiram) की हवा निकाल देता है। जाह्नु बरुआ असम के जाने-माने फिल्म डायरेक्टर हैं और भारतीय सिनेमा में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं।
12 नेशनल अवॉर्ड्स और 20 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों के मालिक
जाह्नु बरुआ ने अपने करियर में 12 नेशनल अवॉर्ड्स (National Awards) जीते हैं, जो उन्हें सिनेमा के लिविंग लेजेंड (Living Legend) का दर्जा देते हैं। उनके निर्देशन में बनी फिल्में न सिर्फ भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराही गईं हैं। उनकी फिल्मों में सामाजिक मुद्दों को बेहद संवेदनशील तरीके से उठाया गया है। ‘Xagoroloi Bohu Door’, ‘मैंने गांधी को नहीं मारा’, ‘बोधान खाई’, और ‘अजेयू’ जैसी फिल्मों से उन्होंने दर्शकों का दिल जीता है।
पद्म श्री और पद्म भूषण से भी सम्मानित
जाह्नु की असाधारण फिल्ममेकिंग को देखते हुए उन्हें भारतीय सिनेमा में दो उच्चतम पुरस्कार – पद्म श्री (Padma Shri) और पद्म भूषण (Padma Bhushan) से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा, उन्होंने 20 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं, जिनमें लोकार्नो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (Locarno International Film Festival) में मिला प्रतिष्ठित सिल्वर लेपर्ड भी शामिल है।
दूसरी महत्वपूर्ण उपलब्धियां
जाह्नु बरुआ फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया ज्यूरी कमिटी के हेड भी रहे हैं। उनके नेतृत्व में उनकी कमिटी ने ‘लापता लेडीज’ (Lapata Ladies) को ऑस्कर (Oscar) के लिए भेजा था और ‘ऑल वी इमैजिन एज लाइट’ (All We Imagine Is Light) को तकनीकी रूप से कमजोर बताते हुए खारिज किया था।