मलयालम फिल्म इंडस्ट्री इन दिनों काफी उथल-पुथल का सामना कर रही है। हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं, और सच्चाई सामने आ रही है। यह इंडस्ट्री, जो हमेशा से ही अपनी उच्च गुणवत्ता और नैतिक मूल्यों के लिए जानी जाती रही है, अब खुद गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है।
19 अगस्त को जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट के बाहर आने के बाद, पूरी इंडस्ट्री में महिलाओं के उत्पीड़न, शोषण, और दुर्व्यवहार के कई गंभीर मामले उजागर हुए हैं। इस रिपोर्ट ने कई प्रमुख नामों को उजागर किया है, जिससे फिल्म इंडस्ट्री के बड़े सितारे भी सवालों के घेरे में आ गए हैं।
जहां कुछ प्रमुख सितारों ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है, वहीं कुछ अभिनेता इस मामले पर खुलकर अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, शम्मी थिलकन ने एक इंटरव्यू में मोहनलाल की आलोचना की है। जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट में कई मामलों का पर्दाफाश किया गया है। इसके बाद, लेखिका मित्र ने मलयालम फिल्म निर्माता रंजीत के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जबकि गीता विजय और श्रीदेवीका ने वरिष्ठ फिल्म निर्माता तुलसीदास पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
वूमेन इन सिनेमा कलेक्टिव (WCC) की संस्थापक सदस्य और अनुभवी अभिनेता-निर्माता रेवती और आशा शरथ ने भी मोहनलाल और मम्मूटी को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की है और कहा है कि अब इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जा रहा है। अभिनेत्री मीनू मुनीर ने हाल ही में मुकेश, मनियांपिल्ला राजू, इदावल बाबू, और जयसूर्या सहित प्रमुख मलयालम अभिनेताओं पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाकर सुर्खियां बटोरीं हैं। उन्होंने इस बात की भी आलोचना की कि वरिष्ठ अभिनेता चुप क्यों हैं और युवा अभिनेताओं से मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन (AMMA) का नेतृत्व संभालने की अपील की।
मोहनलाल ने AMMA से इस्तीफा दे दिया, और उनके इस्तीफे के बाद पूरी 17-सदस्यीय कार्यकारी समिति ने एकजुटता दिखाते हुए पद छोड़ दिए। रिपोर्ट के सामने आने के बाद कई जानी-मानी हस्तियों ने इस्तीफा दे दिया है। अब उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही एक नई समिति इस संगठन का कार्यभार संभालेगी।
इस घटनाक्रम ने न केवल मलयालम फिल्म इंडस्ट्री को हिला कर रख दिया है, बल्कि पूरे देश में फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के प्रति व्यवहार और अधिकारों पर एक व्यापक बहस को भी जन्म दिया है।